जिंदगी का जहर मैंने तन्हा पिया ,
हर दुःख दर्द को मैंने तन्हा जिया,
ख़ुशी मिली तो मैंने ख़ुशी की ही नहीं ,
गम मिला तो उसे दुगना चोगना किया ,
जीये जा रहा हूँ हसके दुनिया को कहा,
किसी को क्या मालूम जख्मो को कैसे सिया,
बात क्या करनी वह कभी मिलता ही नही,
दिल में रहता है भूलता नहीं वो बेदर्द पिया,
उसे याद रखता रात दिन पीके बेसुरत रहता है ,
यह आलम है प्यार का यह अर्पण मियां
राजीव अर्पण
फिरोज़पुर शहर
पंजाब भारत