Wednesday, 26 September 2012

KON HAI APNA

                 कोन  है अपना 
यहा कोन है अपना जिसे अपना कह सके ,
जालिम दुनिया मे सहारा बना के रह सके !
दिखा मुझे झील से गहरी कजरारी आंखे ,
जिन मे फायदा सोचे बिना हम वह सके !
दिल के जख्मो पे मरहम भी लगायो यारो ,
ताकि फिर से जुल्म तुम्हारे हम सह सके !
दे -दे मखमली हाथ मेरे हाथो मे सनम ,
जिन्दगी का सफर हम प्यार से कर तह सके !
ऐसा रंग दे मुझे अपनी दिवानगी मे अर्पण ,
जन्म -जन्म वो रंग ना कभी लह सके !
                       राजीव अर्पण 
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                  उलफत 
उलफत ही नही जीना भी तो है ,
जाम पे जाम पीना भी तो है !
जो दर्द दिया वो वेहतर है ,
सुख चेन मेरा छिना भी तो है !
                                          राजीव अर्पण 

Monday, 24 September 2012

DUBNE WALE NE

             डूबने वाले ने 
डूबने वाले ने किस -किस को ना पुकारा होगा ,
आखिर सोच के डूबा होगा ,जन्म फिर दुबारा होगा !
इंसानों की भीड़ थी दूर तलिक मेरे चारो और ,
हम हर किसी को देखा किये के कोई तो हमारा होगा !
हम उसे यहा -वहा इधर -उधर सब कही देखा किया किये ,
सोच के हमे भी इधर उधर ढूंढ़ता वो नेन कजरारा होगा !
हम उन्हें देख कर सहम कर सिमट के खड़े रहे ,
देखा किये कब गले से लिपटने का इशारा होगा !
अर्पण यह रंगीन जहान ओर यह हसीन मगरूर जवानिया ,
यहा हर किसी का कोई ना कोई तो प्यारा होगा !
                                      राजीव अर्पण 
 

Tuesday, 18 September 2012

WKT

            वकत 
वकत ऐ तू जो चला गया ,
अब मेरे दिल को वो अहिसास ना दे !
खुदा अगर तेरी मर्जी नही मेरे जीने मे ,
तो मुझे और जीने के लिये साँस ना दे !
                          
                             राजीव अर्पण 
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             तेरी मर्जी 
सबने मुझे सताया है तू भी मुझे सता ले 
क्यू बफा करता है सनम तू भी मुझे दगा दे !
यह तेरी जिद्दी जवानी और हुस्ने गरूर ,
सब तो चाहे गे मुहब्बत तेरी मर्जी तू दे या ना दे !
                    
                                     राजीव अर्पण 
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दिल धडकने का सबब ढूंढ़े ,
चलो आज कोई हमसफ़र ढूंढ़े !
              राजीव अर्पण 

Saturday, 15 September 2012

JO GYA

              जो गया 
यह मुझ को क्या हो गया है ,
यह दिल मेरा कहा खो गया है !
चलती हुई लहरों पर भी ,
मेरा मुकदर सो गया  है !
जिसने हम को आंसू दीये थे !
आज वो खुद क्यों रो गया है !
हवा के कफिले पे आंसू गये है ,
यह बादल पिया के देश को गया है !
कहा है अर्पण कोन है अर्पण ,
अरी बाबरी अभी जो गया है !
                 राजीव अर्पण 
 

Friday, 14 September 2012

NA JANE

                ना जाने 
ना जाने किसे पुकारता है दिल ,
तारे गिन-गिन के राते गुजारता है दिल !
देखता तो है हसीनो को ओर अदायो को ,
उन मे भी उसी को निहारता है दिल !
आज शायद वो मिल जाये किसी चोराहे पर ,
खुद को इसी उमीद मे संवारता है दिल !
दर्द और तडप की तो अब इसे सुद ही नही ,
बड़े प्यार से उस की यादो को संभालता है दिल !
उस की हसीन सूरत उस के नेन नक्श अर्पण ,
आईने की तरह खुद मे उतरता है दिल !
                                राजीव अर्पण फ़िरोज़पुर शहर