वकत
वकत ऐ तू जो चला गया ,
अब मेरे दिल को वो अहिसास ना दे !
खुदा अगर तेरी मर्जी नही मेरे जीने मे ,
तो मुझे और जीने के लिये साँस ना दे !
राजीव अर्पण
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तेरी मर्जी
सबने मुझे सताया है तू भी मुझे सता ले
क्यू बफा करता है सनम तू भी मुझे दगा दे !
यह तेरी जिद्दी जवानी और हुस्ने गरूर ,
सब तो चाहे गे मुहब्बत तेरी मर्जी तू दे या ना दे !
राजीव अर्पण
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दिल धडकने का सबब ढूंढ़े ,
चलो आज कोई हमसफ़र ढूंढ़े !
राजीव अर्पण
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