Saturday, 15 September 2012

JO GYA

              जो गया 
यह मुझ को क्या हो गया है ,
यह दिल मेरा कहा खो गया है !
चलती हुई लहरों पर भी ,
मेरा मुकदर सो गया  है !
जिसने हम को आंसू दीये थे !
आज वो खुद क्यों रो गया है !
हवा के कफिले पे आंसू गये है ,
यह बादल पिया के देश को गया है !
कहा है अर्पण कोन है अर्पण ,
अरी बाबरी अभी जो गया है !
                 राजीव अर्पण 
 

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