Saturday, 17 August 2013

सावन की राते

           सावन की राते 
सावन की राते है ,
करनी तुम से बाते है !
दिल के अरमानो को ,
हम प्यार से सहलाते है !
         सावन की राते  है !
चाँद की चाँदनी भी ,
तेरे जोवन पर ठहर गई है ,
उठी जो ये चाँदी सी घटा है ,
ये तेरी अंगडाई से घटा है !
चलती जो यह शीतल पवन है ,
तेरे-मेरे रोम -रोम का चलन है !
दी हमे जीवन की सोगाते है ,
दो बदन चादनी में नहाते है !
         सावन की राते है 
बदलो से भरा आसमान 
चुप है तेरी-मेरी तरह ,
मिलते है एक दूसरे से !
धीमे से फूस-फसते है ,
फुहार धरती में समाती है ,
बदनो से अदभूत खशबू आती है 
सरगम सा शोर है ,
चलती अपनी श्वासे है !
          सावन की राते है !
मिल के बरस ही गये ,
कुछ धीमा सा शोर हुआ ,
कुछ घटा ,घटायो ने देखा !
बदनो में अपने जोर हुआ ,
हुई जोर से बरसाते है !
          सावन की राते है 
   राजीव अर्पण  
 

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