Friday, 2 August 2013

तपती जमीन पर

        तपती जमीन पर 
तपती जमीन पर चले थे हम ,
यह तब कि बात है जब भले थे हम !
उस को जिन्दगी माना दिल में जगहा दी ,
कम उमर थे मनचले थे हम !
जोश था ,जवानी थी चाहत थी ,
मगर तब भी गुरबत के तले थे हम !
जवानी में चाह थी असमा पाने की ,
मासूम थे हीनता में पले थे हम !
वो कमसिन थी हुस्न की मल्लिका ,
जब एक दूजे के गले मिले थे हम !
                    राजीव अर्पण 
फिरोजपुर शहर पंजाब भारत 

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