Tuesday 20 November 2012

यह सरूरे इलाहीई है

    यह सरूरे इलाहीई है   

अर्पण यह सरूरे इलाहीई  है ,
उस खुदा की ख़ुदाई है .
यह उस की रहम दिली है ,
तुम संग उसकी वफाई है .
बक्शी है रहमत तुमको ,
दी कलम मे प्यार की सहाई है .
रगों मे खून दोड़ता है ,
जब भी लिखी रुबाई है .
महकता है तेरा रोम-रोम ,
जब भी कोई नज्म गाई है .
जगमगाता है अन्दर का सनाटा ,
जब गजल की आवद आई है  
अर्पण पूरा है कुछ नही चाहिये ,
अभी गीत ने दिल मे ली अंगडाई है 
            राजीव अर्पण         

  

TUM BHI KISI SE PYAR KRNA

        तुम भी किसे प्यार करना 

जिन्दगी पे एक उपकार करना ,
तुम भी किसी से प्यार करना .
यह फूलो के रंग उनकी महक है ,
अपनी जिन्दगी गुलजार करना .
*******तुम भी किसी से प्यार करना 
लाख कमिया रही हो जिन्दगी मे ,
जिन्दगी अपनी किसी पे निसार करना .
******तुम भी किसी से प्यार करना 
उस ने भोलेपन मे जो किये वादे ,
उन वादों पे इतबार करना .
******तुम भी किसी से प्यार करना 
डाल पे बैठे दो प्यारे पंछी ,
उन की हर अदा को दिल मे भरना .
*****तुम भी किसी से प्यार करना 
                    राजीव अर्पण 
              फिरोजपुर पंजाब भारत 

Monday 19 November 2012

यह क्या

              यह क्या 
मेरी नग्मा फिरोश आँखों ने ,
आखिर एक नग्मा ढूंढ़ लिया .
                      अर्पण 
जी ही लेगे दिल को घुट के ,
मेरी बरबादी का तुझे रंज केसा .
                  राजीव अर्पण 
किसी पे क्या गुजरी तू क्या जाने सनम ,
तेरे एक ही अलफाज ने दे दिये गम ही गम .
                                        अर्पण 
इकरार चाहा इन्कार मिला ,
फिर भी तुम से नही खुद से है गिला .
                                      अर्पण 
जब भी खुशिया चाही है गम मिला है ,
सनम बस अपनी जिन्दगी से गिला है .
                         राजीव अर्पण 
देख कर इस कदर मुह फेरते है वो ,
हाय जीने से बेहतर लगता है मर जाना .
                           अर्पण 
उन के होठो पे अपना जिकर आया ,
मुझे फिर जीने का फिकर  आया .
                 राजीव अर्पण फिरोजपुर शहर 

Sunday 18 November 2012

प्यार है तो

    प्यार है तो 

प्यार है तो इसे छुपायो ना सनम ,
इस का इजहार हम खाते पिटे करे .
छोडो चर्चा जुदाई का ऐ हसीन ,
आओ मिल के मुलाकात की बाते करे .
वे-सब्ब रूठ कर तडपाते क्यों कर हो ,
आओ आठो पहर हम मुलाकाते करे .
काली रातो मे जख्म सहलाते हो क्यों ,
आओ मिल कर रोशन हम राते करे .
प्यार से हम रोशन कर दे जमाना ,
प्यार हम एक दूजे से आते जाते करे .
                          राजीव अर्पण फिरोजपुर शहर