Friday 6 September 2013

रूप का ख़ुमार

     रूप का ख़ुमार 
आजा तेरे रूप का ख़ुमार लू ,
तुम को भर के बाहों में दुलार लू !
छूह के तुम को जिन्दगी संवार लू ,
तडफ छोड़ के थोडा सा करार लू !
जिन्दगी हो तुम ,तुम्हे जिन्दगी में उतार लू 
प्यार हो तुम ,तुम से मै प्यार लू !
बहार हो तुम ,तुम से मै बहार लू ,
हुस्न हो तुम ,तुमसे खुद को शिंगार लू !
इश्क हो तुम ,तुमसंग जिन्दगी गुजार लू !
प्यार लू ,बहार लू ,ख़ुमार लू ,
मै तुम्हे प्यार से पुकार लू !
आजा तेरे रूप का खुमार लू ,
तुम को भर के बाहों में दुलार लू !
                    राजीव अर्पण 

Tuesday 3 September 2013

प्रभु

         प्रभु 
ग़ुरबत के मारो को ,
जिन्दगी से हारो को !
प्रभु तुम तो दगा ना देना ,
सहारा दे के अपना बना लेना !
इन मायूस इन लचारो को ,
किस्मत के मारो  को !
यह किस से रोना रोये ,
फरियाद भी करे किस से ,
इन बे-बस ,बे -सहरो  को ,
प्रभु तुम गले लगा लेना !
जिन्दगी के पर्दे में ,
यहा मोत है पलती !
तन्हा अँधेरो में ,
इन की उमरे है ढलती ,
प्रभु ओर जुल्म ना ढाना ,
ओर ना रुलाना इन बेचारो को ,
ग़ुरबत के मारो को ,
जिन्दगी से हारो को !
              राजीव अर्पण