Tuesday, 28 May 2013

जो इश्क ने लगाई

       जो इश्क ने लगाई 
जो इश्क ने दिल मे आग लगाई वो आज तक नही बुझी ,
तुम से हो मुहब्बत इस के सिवा कुछ और ना  सूझी  .
इजहारे मुहब्बत के साथ इकरारे मुहब्बत भी किया होता ,
मुझ से दूर जो महकते रहे मेरे पहलू मे भी कुछ रोज जिया होता .
झुलसती ना यह जवानी ,गम की आग मे बन के बांवरी ,
अगर मेरे आंगन मे आये होते तू मेरा सुंदर सा पिया होता .
मेरे खुदा मैंने तुम से कुछ ज्यादा तो नही मांग लिया था ,
मेरा महबूब होता ,इस छोटे से घर -आंगन मे रोशन दीया होता .
चंद रोज की जवानी थी ,वो भी गई बेबसी मे ,सिसकिया भर के ,
तेरे बड़े जहान मे हँस -खेल के गुजार लेते तो तेरा क्या लिया होता .
वेसे तो इस जहान में तमना एक से एक बडती ही जाती है ,
मेरी तो बस एक तमन्ना पूरी करता तो तेरे गुणगान मे अर्पण मिया होता .
                       राजीव अर्पण ,फिरोजपुर शहर पंजाब भारत 

Monday, 20 May 2013

मृग तृष्णा

        मृग तृष्णा
मृग तृष्णा सी रही अपनी तो जिन्दगी ,
जिन्दगी भर चले मगर प्यार पानी ना मिला !
लगता तो रहा दो कदम पे खड़ा है सनम ,
मगर साथ देने के लिये कोई सानी ना मिला !
                      राजीव अर्पण
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               छुआ
ना जाने क्यू मै सोचता ही चला गया ,
जब कि सोचा हुआ कभी पूरा ना हुआ !
ख्वाबो मे तो हम बहुत दूर तक गये ,
मगर हकीकत मे उस का आंचल तक ना छुआ !
                     राजीव अर्पण
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             केसे लिख दू
केसे लिख दू इन कागजो पे प्यार को अपने ,
केसे दिखाऊ मेने जो देखे है सपने !
तेरा दिल कोन देख सकता है अर्पण ,
जो उनके ना मिलने पर लगता है तड़पने !
       राजीव अर्पण नंजदीक तुड़ी बजार
       फिरोजपुर शहर पंजाब भारत
      



 

Saturday, 18 May 2013

आभावो से भरी जिन्दगी

       आभावो से भरी जिन्दगी
आभावो से भरी जिन्दगी जिया किये हम ,
ख्वाबो से भरी बोतले पिया किये हम .
सहलाने से अर्पण कभी नही भरते जख्म ,
सबर के लम्बे धागे से सिया किये हम .
                          राजीव अर्पण
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तुम कहा हम कहा

        तुम कहा हम कहा 
तुम कहा हम कहा ,ये फासले सिमटे गे कहा ,
दिल तो तेरे करीब है ,ना जाने यह युग पलटे गे कहा .
चंद रोज गुजर जाये काश मेरे शांत कही ,
मेरे वियाकुल विचार हाय चिपटे गे कहा .
कोई मेरा आपना हो हाय मेरा आपना हो ,
यह तरसते अरमान ये बाजू लिपटे गे कहा .
खुद नशा पी -पी के तू उलट जायेगा अर्पण ,
मगर तेरे जज्बात ,अर्पण उलटे गे कहा .
तुम कहा हम कहा ...........................
                         राजीव अर्पण फिरोजपुर शहर 
                         पंजाब भारत  

मेरा महबूब मुझे याद आया

          मेरा महबूब मुझे याद आया 
मेरा महबूब मुझे याद आया ,
जेसे तन्हा मे किसी ने गीत गया .
थी तन्हाईया वीरान था अपना घर ,
ऐसे सुन्ने मे किसी ने दर खटखटाया .
**********मेरा महबूब मुझे याद आया .
उमर भर की सजा है मुझ को ,
मेरे दिल को तूने क्यू लुभाया .
मुझे मेरी मंजिल से दूर रखा उमर भर 
ऐसा सितम तुमने मुझ पे क्यू ढाया .
 खवाब दिखा के उन्हे पूरा किया कर ,
ना पूरे करने का सलीका किसने सिखाया .
मुझे समझ नही आती अर्पण मेरी जिन्दगी ,
मुझ पे रहम कर मेरे खुदाया .
**********मेरा महबूब मुझे याद आया .
                           राजीव अर्पण फिरोजपुर शहर पंजाब 
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