मेरा महबूब मुझे याद आया
मेरा महबूब मुझे याद आया ,
जेसे तन्हा मे किसी ने गीत गया .
थी तन्हाईया वीरान था अपना घर ,
ऐसे सुन्ने मे किसी ने दर खटखटाया .
**********मेरा महबूब मुझे याद आया .
उमर भर की सजा है मुझ को ,
मेरे दिल को तूने क्यू लुभाया .
मुझे मेरी मंजिल से दूर रखा उमर भर
ऐसा सितम तुमने मुझ पे क्यू ढाया .
खवाब दिखा के उन्हे पूरा किया कर ,
ना पूरे करने का सलीका किसने सिखाया .
मुझे समझ नही आती अर्पण मेरी जिन्दगी ,
मुझ पे रहम कर मेरे खुदाया .
**********मेरा महबूब मुझे याद आया .
राजीव अर्पण फिरोजपुर शहर पंजाब
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