लफजो के पार
लफज बहुत लिख लिये ,
लफजो के पार जाना है !
मेरे सनम तेरा मेरा ,
एक साथ ठिकाना है !
है कोन मेरा सनम ,
कोई बन के तो दिखाये !
आसमान झुक जाये ,
हवाये गीत गाये !
है मेरी प्रीत सा ,
पवीत्र कोई !
वो गुल चमन में ,
खिल के तो दिखाये !
है सिमटने की आरजू ,
मुझ में भी !
वो कली आ के ,
मुझ से लिपट जाये
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नग्मा होगा
तेरी बात गजल होगी ,
तेरा इजहार नग्मा होगा !
यू रुठ के ना जाना ,
मेरे दिल को सदमा होगा !
लोग कहें गे यह सेदा है उसका ,
बिन बात यह मजमा होगा !
राजीव अर्पण
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