दोस्ती
दोस्तों की दोस्ती से बाज़ आ गये ,
हम को अकेले जीने के राज आ गये ।
जज्बातों माँ लुट जाने के बाद ।
इस दुनिया के रस्मो रिवाज आ गये,
तेरे अंदाज से अब बहलु गा नही,
अनदज को बे-अंदाज करने के अंदाज आ गये ।
अब मेरी ग़ज़ल अन्देरो मे गम ना होगी ,
उन को मह्क्काने के लिए सुर-साज आ गये ।
अच्छा करे बुरा करे अर्पण तेरा है ,
वो देख हियर दिल के सरताज आ गये ।
राजीव अर्पण
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