Wednesday 4 May 2011

दोस्त

दोस्ती


दोस्तों की दोस्ती से बाज़ आ गये ,

हम को अकेले जीने के राज आ गये ।

जज्बातों माँ लुट जाने के बाद ।

इस दुनिया के रस्मो रिवाज आ गये,

तेरे अंदाज से अब बहलु गा नही,

अनदज को बे-अंदाज करने के अंदाज आ गये ।

अब मेरी ग़ज़ल अन्देरो मे गम ना होगी ,

उन को मह्क्काने के लिए सुर-साज आ गये ।

अच्छा करे बुरा करे अर्पण तेरा है ,

वो देख हियर दिल के सरताज आ गये ।


राजीव अर्पण

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