रूप का ख़ुमार
आजा तेरे रूप का ख़ुमार लू ,
तुम को भर के बाहों में दुलार लू !
छूह के तुम को जिन्दगी संवार लू ,
तडफ छोड़ के थोडा सा करार लू !
जिन्दगी हो तुम ,तुम्हे जिन्दगी में उतार लू
प्यार हो तुम ,तुम से मै प्यार लू !
बहार हो तुम ,तुम से मै बहार लू ,
हुस्न हो तुम ,तुमसे खुद को शिंगार लू !
इश्क हो तुम ,तुमसंग जिन्दगी गुजार लू !
प्यार लू ,बहार लू ,ख़ुमार लू ,
मै तुम्हे प्यार से पुकार लू !
आजा तेरे रूप का खुमार लू ,
तुम को भर के बाहों में दुलार लू !
राजीव अर्पण
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