Tuesday, 3 September 2013

प्रभु

         प्रभु 
ग़ुरबत के मारो को ,
जिन्दगी से हारो को !
प्रभु तुम तो दगा ना देना ,
सहारा दे के अपना बना लेना !
इन मायूस इन लचारो को ,
किस्मत के मारो  को !
यह किस से रोना रोये ,
फरियाद भी करे किस से ,
इन बे-बस ,बे -सहरो  को ,
प्रभु तुम गले लगा लेना !
जिन्दगी के पर्दे में ,
यहा मोत है पलती !
तन्हा अँधेरो में ,
इन की उमरे है ढलती ,
प्रभु ओर जुल्म ना ढाना ,
ओर ना रुलाना इन बेचारो को ,
ग़ुरबत के मारो को ,
जिन्दगी से हारो को !
              राजीव अर्पण 
 
 

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